के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा में खोपड़ी में खून जमा हो जाता है। इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा में मस्तिष्क के ऊत्तक के भीतर या खोपड़ी के नीच खून जमा हो सकता है। इससे मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है। इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा संभावित रूप से जानलेवा होता है।
इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा में निम्नलिखित स्थितियां शामिल हैं:
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इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा एक गंभीर बीमारी है। यह किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। ज्यादातर मामलों में इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा जानलेवा होता है। इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा में ब्लड क्लॉटिंग को तुरंत हटाने की जरूरत होती है। इसके लिए कई बार सर्जरी तक करनी पड़ती है।
इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा के लक्षण निम्नलिखित हैं:
एक झटके के बाद आप इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा के लक्षण और संकेतों को महसूस कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा के लक्षण सामने आने में कई बार हफ्तों से लेकर लंबा समय लग जाता है। सिर पर चोट लगने के बाद आपको स्वस्थ महसूस होता है, इसे लुसिड इंट्रावल (lucid interval) कहा जाता है। हालांकि, समय के साथ मस्तिष्क पर दबाव बढ़ने लगता है। इससे आपको निम्नलिखित कुछ या सभी लक्षण नजर आ सकते हैं:
दिमाग में अधिक ब्लड भरने या खोपड़ी और मस्तिष्क के बीच जगह कम होने पर निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं:
उपरोक्त लक्षण के अलावा भी इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा के कुछ अन्य लक्षण हो सकते हैं। यदि आप इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा के लक्षणों को लेकर चिंतित हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह लें। यह जरूरी नहीं है कि जो लक्षण अन्य व्यक्ति की बॉडी में नजर आएं वही आपके शरीर में भी दिखें। किसी भी बीमारी की स्थिति में प्रत्येक व्यक्ति में एंटीबॉडी बनने का एक भिन्न तरीका हो सकता है।
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निम्नलिखित स्थितियों में तत्काल अपने डॉक्टर से संपर्क करें:
यदि आपको उपरोक्त लक्षणों या संकेतों में से किसी एक का भी अनुभव होता है तो डॉक्टर से सलाह लें। हालांकि, इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा में हर व्यक्ति की बॉडी अलग तरह से प्रतिक्रिया दे सकती है। परिस्थिति का उचित ढंग से आंकलन करने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
सबड्युरल हेमाटोमा के कारण
सबड्युरल हेमाटोमा ब्रिजिंग नसों (जो मस्तिष्क को ढकने वाली मध्य और बाहरी परत के बीच होती हैं) में ब्लीडिंग की वजह से होता है। अक्सर, सबड्युरल हेमाटोमा आर्ट्ररी में ब्लीडिंग होने की वजह से भी होता है।
सबड्युरल हेमाटोमा एक्यूट, सबएक्यूट या क्रॉनिक हो सकता है। इस प्रकार का इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा सिर में गंभीर चोट लगने की वजह से होता है। आमतौर पर इसके लक्षण और संकेत तुरंत नजर आते हैं।
एपिड्युरल हेमाटोमा (epidural hematoma) के कारण
एपिड्युरल हेमाटोमा आरट्री से ब्लीडिंग या खोपड़ी और दिमाग को ढकने वाली बाहरी परत के बीच स्थिति किसी बड़ी नस में ब्लीडिंग से होता है। अक्सर खोपड़ी में फ्रैक्चर आने से रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं, जिससे ब्लीडिंग होने लगती है। एपिड्युरल हेमाटोमा का सबसे सामान्य कारण चोट है।
इंट्रापारेनायमल हेमाटोमा (intraparenchymal hematoma)
इस प्रकार के हेमाटोमा को इंट्रासेरेबल हेमाटोमा (intracerebral hematoma) कहा जाता है। मस्तिष्क में ब्लड इक्कट्ठा हो जाने से यह हेमाटोमा होता है। चोट, एनेउरसम (aneurysm) का फटना, वसक्युलर मलफॉर्मेशन, हाई ब्लड प्रेशर और ट्यूमर को मिलाकर इसके कई कारण हो सकते हैं।
ऐसी कई बीमारिया हैं, जिसकी वजह से मस्तिष्क में अचानक से ब्लीडिंग होने लगती है। सिर पर चोट लगने से कई इंट्रापारेनायमल हेमाटोमा हो सकते हैं।
उपरोक्त कारणों के अलावा भी कुछ अन्य कारण हो सकते हैं, जो इस बीमारी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। उपरोक्त सूची संपूर्ण नहीं है। यदि आप इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा के कारणों को लेकर चिंतित हैं और इनकी विस्तृत जानकारी चाहते हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
सबड्युरल हेमाटोमा का खतरा उम्र के साथ बढ़ता है। निम्नलिखित लोगों के लिए इसका खतरा सबसे ज्यादा रहता है:
उपरोक्त कारकों के अलावा भी कुछ ऐसे फैक्टर्स हो सकते हैं, जिनसे इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा का खतरा बढ़ सकता है। बेहतर होगा कि आप इस संबंध में अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें। डॉक्टर आपकी मौजूदा हेल्थ कंडिशन का आंकलन करके इसके संभावित कारकों का आंकलन कर सकता है। इसके लिए आप अपनी मौजूदा हेल्थ की विस्तृत जानकारी अपने डॉक्टर के साथ साझा अवश्य करें। किसी भी जानकारी को छुपाएं नहीं। इसके गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं।
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
क्रॉनिक सबड्युरल हेमाटोमा (Chronic subdural hematoma) का पता लगाना काफी मुश्किल होता है। चूंकि, चोट लगने की अवधि और इसके लक्षणों के विकसित होने में काफी समय लगता है। अधिक उम्र के लोगों में इसके लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं जैसे याद्दाश्त कम होना और सुस्ती आना। इस स्थिति को कई बार डेमेंशिया समझ लिया जाता है।
सीटी स्कैन के जरिए एक्यूट, सबएक्यूट और क्रॉनिक सबड्युरल हेमाटोमा की पहचान की जाती है। एमआरआई क्रॉनिक सबड्युरल हेमाटोमा की जानकारी देने के लिए सबसे सटीक टेस्ट है।
छोटे हेमाटोमा में कोई लक्षण या संकेत नजर नहीं आते हैं। इन्हें निकालने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। चोट लगने के कई दिनों या हफ्तों बाद इसके लक्षण और संकेत सामने आते हैं। यह समय के हिसाब से गंभीर हो सकते हैं। आपको इसमें न्यूरोलॉजिकल बदलाव, इंट्राक्रेनियल प्रेशर की मॉनिटरिंग के लिए बार-बार सिर का सीटी स्कैन कराना पड़ सकता है।
यदि आप खून को पतला करने वाली दवा जैसे वॉरफेरिन (Warfarin) ले रहे हैं तो आपको थेरेपी की जरूत पड़ सकती है। यह थेरेपी दवा के प्रभाव को कम करने और दोबार ब्लीडिंग को कम करने में मदद करती है। ब्लड को पतला करने वाली दवाइयों कम करने के लिए विटामिन के और ताजा फ्रोजेन प्लाज्मा को शामिल किया जाता है।
सर्जरी
इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा में अक्सर सर्जरी करनी पड़ती है। हालांकि, सर्जरी का प्रकार हेमाटोमा के प्रकार पर निर्भर है।
इसमें निम्नलिखित तरीके शामिल हैं:
सर्जरीकल ड्रेनेज (Surgical drainage)
खून जमा होने की जगह का पता चलने के बाद और यदि खून ज्यादा मात्रा में इक्कट्ठा नहीं है तो ड्रेनेज सर्जरी की जाती है। इसमें डॉक्टर आपकी खोपड़ी में एक छोटा छेद करके सक्शन से लिक्विड को निकाल सकता है।
क्रेनिओटोमी (Craniotomy)
बड़े हेमाटोमा में खोपड़ी के एक हिस्से को खोलने की आवश्यकता पड़ सकती है। इसके बाद ही वहां से जमे हुए खून को निकाला जाता है।
रिकवरी
इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा के बाद रिकवरी में लंबा समय लग सकता है। इस स्थिति में शायद आपकी रिकवरी पूरी न हो। चोट लगने के बाद रिकवरी में लगने वाला सबसे अधिक समय तीन महीने तक का होता है। इलाज के बाद यदि आपको न्यूरोलॉजिकल समस्याएं आती हैं तो आपको ओक्युपेशियनल और फिजिकल थेरेपी की जरूरत पड़ सकती है।
निम्नलिखित उपायों से आप इंट्राक्रेनियल हेमाटोमा का सामना कर सकते हैं:
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
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हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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