खुजली का आयुर्वेदिक इलाज
खुजली का आयुर्वेदिक उपचार कई तरीकों से किया जाता है। जैसे-
खुजली का आयुर्वेदिक उपचार : थेरेपी (Ayurvedic Treatments For Itching)
विरेचन (Virechana)
विरेचन थेरेपी खुजली का आयुर्वेदिक इलाज है। यह आयुर्वेदिक थेरेपी से पीलिया, पित्त विकार, दमा (asthma), मिर्गी (epilepsy) और स्किन कंडीशन के इलाज के लिए अच्छी मानी गई है। इस प्रक्रिया में रेक्टल रूट से बॉडी में मौजूद एक्स्ट्रा पित्त, वात, कफ और टॉक्सिन्स को बाहर निकालने के लिए कई तरह की जड़ी बूटियों को शामिल किया जाता है।
इन हर्ब्स को व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार चुना जाता है। अगर आप एक्जिमा का आयुर्वेदिक इलाज ढूंढ रहे हैं तो विरेचन प्रक्रिया इसमें उपयोगी हो सकती है और एक्जिमा के कारण होने वाली खुजली से छुटकारा मिल सकता है। इसे खुजली का आयुर्वेदिक इलाज कह सकते हैं।
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वमन
इस आयुर्वेदिक प्रक्रिया में व्यक्ति में बढ़े हुए दोष को उल्टी के माध्यम से निकाला जाता है। वमन से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ और बढ़े हुए पित्त और कफ को खत्म करने में मदद मिलती है। वमन प्रक्रिया विशेष रूप से सोरायसिस के इलाज में बहुत उपयोगी है और इस स्किन डिजीज की वजह से होने वाली खुजली को कम कर सकती है।
रक्तमोक्षण (Raktamokshana)
रक्तमोक्षण एक प्रकार का रक्तपात है। इसमें आमतौर पर मैटेलिक इंस्ट्रूमेंट्स (metallic instruments) का उपयोग किया जाता है। इस आयुर्वेदिक प्रक्रिया में ब्लड स्ट्रीम से टॉक्सिन्स को करके रक्त-जनित बिमारियों (blood-borne conditions) का इलाज किया जाता है। यह ल्यूकोडरमा, खुजली, चिकनपॉक्स और सोरायसिस जैसी तमाम त्वचा संबंधित बिमारियों को मैनेज करने में प्रभावी है। इन स्किन प्रॉब्लम्स के कारण होने वाली खुजली को कम करने में यह आयुर्वेदिक प्रक्रिया मदद कर सकती है।
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लेप (Lepa)
खुजली का आयुर्वेदिक इलाज तलाश कर रहे हैं तो ये बेस्ट इलाज है। कई अवयवों जैसे- अमलकी (आंवला), तेल, जौ, वचा (calamus) आदि से तैयार किया गया एक तरह का आयुर्वेदिक लेप है। इसका इस्तेमाल प्रभावित हिस्से पर किया जाता है। दोषघ्न (दोष-निवारण), विघ्न (विष-निरोध) और वारण्य मुक्हल्पा (कॉस्मेटिक) लेप, आयुर्वेदिक में तीन प्रकार के लेप हैं। इनका इस्तेमाल खुजली की समस्या में फायदेमंद है।
उद्वर्थन (Udvarthana)
इसमें कई तरह की जड़ी बूटियों के मिश्रण से एक हर्बल पाउडर तैयार किया जाता है। इस हर्बल पाउडर का इस्तेमाल खुजली के उपचार में किया जाता है।
खुजली का आयुर्वेदिक इलाज : हर्ब्स (Herbs for itching treatment)
कई वर्षों से खुजली का आयुर्वेदिक इलाज हर्ब्स के माध्यम से किया जा रहा है।
खदिरा
दाद खाज खुजली की आयुर्वेदिक हर्ब में कई फाइटोकोनस्टिटुएंट्स (phytoconstituents) जैसे- कैटेचिन (catechin), टैनिन्स (tannins) सक्रिय तत्त्व मौजूद होते हैं। यह सोरायसिस के उपचार में काफी उपयोगी है।
हरिद्रा
हरिद्रा में जीवाणुरोधी (antibacterial), कैरीमैनेटिव (carminative) और कृमिनाशक (anthelmintic) गुण होते हैं। इस हर्ब का उपयोग सोरायसिस, दाद, प्रुरिटस (pruritus) और स्किन एलर्जी के उपचार में किया जाता है। हरिद्रा का इस्तेमाल काढ़े, पाउडर, पेस्ट, लेप के रूप में डॉक्टर की सलाह से कर सकते हैं।
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दारुहरिद्रा (Daruharidra)
दारुहरिद्रा त्वचा रोगों के लिए आयुर्वेदिक दवा है जो पाचन तंत्र पर काम करती है। इसके इस्तेमाल से शरीर से बढ़े हुए पित्त का नाश होता है जो अधिकांश स्किन डिजीज का कारण बनता है। आयुर्वेदिक डर्मेटोलॉजिस्ट दारूहरिद्रा को अक्सर खुजली सहित सोरायसिस के लक्षणों को कम करने के लिए निर्देशित करते हैं। इसका काढ़ा, पाउडर, पेस्ट का इस्तेमाल डॉक्टर के निर्देशानुसार किया जा सकता है।
निम्बा