समलैंगिको को न केवल अपने परिवार की नफरत का सामना करना पड़ता है बल्कि समाज में भी उनका बहिष्कार किया जाता है। भले ही विदेशों में लेस्बियन के लिए जीवन यापन करना आसान होता हो, लेकिन भारत देश में ये अभी भी टेढ़ी खीर के समान ही है। घर में, ऑफिस में और समाज में बहिष्कार के कारण सोशल चैलेंजेस का सामना करना पड़ता है। इसी कारण से मेंटल हेल्थ में भी बुरा प्रभाव पड़ता है। बिना वजह के ही लोग लेस्बियन कपल को उनकी च्वॉइस के लिए ताने देते रहते हैं। अक्सर ऐसी लड़कियों को लड़के डेट के लिए भी प्रपोज करते हैं। कुछ लड़कों का मानना होता है कि लेस्बियन लड़की अन्य लड़के के प्रति अट्रेक्ट नहीं होगी, ये बात उनको सेफ फील कराती है। किसी भी लड़की की मन की इच्छा को जाने बिना उस पर मर्जी थोपना कहीं न कहीं मेंटल प्रेशर को बढ़ाने का काम करता है। समाज में ऐसी बहुत सी लेस्बियन हैं जो भेदभाव के कारण अपनी इच्छा को पूरी तरह से जाहिर नहीं कर पाती हैं। फिर उन्हें उम्र भर तनाव में जीना पड़ता है कि वे अपनी इच्छा जाहिर नहीं कर पाई।
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छूट जाता है घर-परिवार
लेस्बियन को अपनी मन की इच्छा जाहिर करने पर कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जब तक वे अपने मन की बात किसी को नहीं बताती हैं, तब तक सब ठीक है। जैसे ही लड़कियां अपनी सेक्स की इच्छा को लेकर घर में बात करती हैं तो सभी लोग नाराज हो जाते हैं। कई बार तो लड़कियों को घर में ही कैद कर दिया जाता है, जिसका बुरा असर उनकी मेंटल हेल्थ में भी पड़ता है। घर वाले आक्रामक हो जाते हैं और साथ ही लड़की की जबरदस्ती शादी करवाने की कोशिश भी कर सकते हैं। ऐसे में किसी भी लेस्बियन के लिए नॉर्मल रह पाना मुश्किल होता है। घर के बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है। जान-पहचान वाले भी नाता तोड़ देते हैं। साथ ही परिवार वाले भी साथ छोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। इन सब परिस्थितियों के कारण ही लेस्बियन का जीवन कई प्रकार की समस्याओं से घिर जाता है।
पेरेंट्स को करना चाहिए सपोर्ट