हालांकि, एआरएफआईडी या दूसरी खाने के परेशानियों को रोकने का कोई तरीका नहीं है। लेकिन, आप बच्चे को स्वस्थ खाने के व्यवहार को विकसित करने में मदद के लिए कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैंः
बच्चे के आस-पास खाने से परहेज करने से बचेंः
खान-पान की आदतें बच्चों के भोजन के साथ विकसित होने वाले रिश्तों को प्रभावित कर सकती हैं। एक साथ भोजन करने से आपको अपने बच्चे को एआरएफआईडी के नुकसान के बारे में सिखाने का मौका मिलता है। बच्चों को सही मात्रा में संतुलित आहार खाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
बच्चे से बात करेंः
एआरएफआईडी को एक खाने की परेशानी के बजाए एक लाइफस्टाइल ऑप्शन के रूप में देखना। इस तरह की किसी भी परेशानी को ठीक करना और खाने के विकल्पों के जोखिम के बारे में अपने बच्चे से बात करना जरूरी हैं।
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बच्चे को सेल्फ इमेज के बारे में बताएं:
चाहें उसका आकार या साइज कुछ भी हो। सेल्फ इमेज के बारे में अपने बच्चे से बात करें और उन्हें बताएं कि शरीर का आकार अलग-अलग हो सकता है। अपने बच्चे के सामने किसी के भी शरीर की आलोचना करने से बचें।
इन टिप्स को भी अपनाएं
वैसे तो इस प्रकार के इटिंग डिसऑर्डर से बचाव का कोई खास तरीका नहीं है। लेकिन आप कुछ स्ट्रेटेजी को अपनाकर इस बीमारी से बचाव कर सकते हैं। वहीं बच्चे के डेवलप्मेंट के साथ उसके इटिंग बिहेवियर में सुधार ला सकते हैं। इसके लिए इन बातों पर ध्यान देना होगा, जैसे
- बच्चों के आसपास डायटिंग करने से बचें : फैमिली के सदस्यों का खानपान का असर बच्चों पर पड़ता है। बच्चों के साथ खाना खाकर आप उन्हें बैलेंस डायट के साथ पौष्टिक खाद्य पदार्थों की जानकारी दे सकते हैं। इसलिए परिजनों को साथ में बैठकर खाना खाना चाहिए।
- बच्चों के साथ करें बातचीत : मौजूदा समय में इंटरनेट सहित लाइफस्टाइल व अन्य को देख बच्चे इटिंग डिसऑर्डर का शिकार हो सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों सही व गलत की जानकारी दें, उन्हें हेल्दी व अनहेल्दी खाद्य पदार्थों के बारे में बताएं।
- हेल्दी बॉडी इमेज के बारे में बताएं : अच्छा खाने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करें। उन्हें बताए कि अच्छा खाकर वो अच्छा शरीर हासिल कर सकते हैं। बताएं कि हेल्दी खाना खाने से वो आगे चलकर तंदरूस्त रह सकते हैं, जिससे उन्हें किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
बच्चे के लिए डॉक्टर की मदद लेंः
आपका डॉक्टर बच्चे की एआरएफआईडी की समस्या के शुरुआती संकेतों की पहचान कर सकते हैं। उदाहरण के लिए बच्चों की रुटिन और मेडिकल हिस्ट्री के दौरान डॉक्टर उनकी खाने की आदतों और संतुष्टि के बारे में सवाल पूछ सकते हैं। डॉक्टर के पास जाने में बच्चे की हाइट और वजन के प्रतिशत और बॉडी मास इंडेक्स के चेक शामिल होने चाहिए, जो आपको और आपके बच्चे के डॉक्टर को किसी भी जरूरी बदलाव के लिए सचेत कर सकें।