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बेबी हार्ट मर्मर के क्या लक्षण होते हैं? कैसे करें देखभाल

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    बेबी हार्ट मर्मर के क्या लक्षण होते हैं? कैसे करें देखभाल

    बेबी हार्ट मर्मर (Baby heart murmur) यानि दिल की असामान्य ध्वनि हमारे दिल की हार्टबीट साइकिल के दौरान सुनाई देती है। जब हम भागते हैं तो एकाएक हमारी हार्ट बीट बढ़ जाती है, हम उसे महसूस तक कर सकते हैं, यह समस्या भी ठीक इसी समान है। इसमें हमारी हार्ट बीट सामान्य की तुलना में ज्यादा तेजी से धड़कती है व सुनाई देती है। हमारे दिल में व उसके आसपास के अशांत रक्त (Turbulent blood) के कारण यह सुनाई देती है। इस आवाज को स्टेटेस्कोप की मदद से भी सुना जा सकता है।
    सामान्य तौर पर दिल से निकलने वाली आवाज लब-डब की तरह सुनाई देती है, ऐसा जब जब हार्ट वाल्व बंद होता है इस तरह की आवाज सुनाई देती है। सामान्य शब्दों में कहा जाए तो मानव का हार्ट बीट सामान्य तौर पर लब-डब, लब-डब की आवाज में धड़कता है। वहीं कई बार जब खून दिल से होकर गुजरने के कारण अतिरिक्त आवाज उत्पन्न करता है, इसी को मर्मर कहा जाता है, वहीं बेबी हार्ट मर्मर यही है।
    आनुवांशिक कारणों से बेबी हार्ट मर्मर की समस्या हो सकती है, जन्म के समय से ही बच्चों में यह देखने को मिलता है। बेबी हार्ट मर्मर कोई बीमारी नहीं है, लेकिन दिल संबंधी बीमारी होने का सामान्य कारण है।

    बेबी हार्ट मर्मर होने पर दिखते हैं इस प्रकार के लक्षण (Baby heart murmur Symptoms)

    यदि किसी को हार्ट मर्मर की समस्या है, तो उसे बेबी हार्ट मर्मर कहा जाता है। इस स्थिति में कोई खास लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं। लेकिन यदि आपमें इस प्रकार के लक्षण दिखते हैं तो यह संभव है कि आपको दिल संबंधी बीमारी हो सकती है। जैसे:
    •  बेहोश हो जाना
    • सिर चकराना
    • सीने में दर्द
    •  उंगलियों के छोर के साथ होंठों का रंग ब्लू (नीला) हो जाना
    • सूजन और एकाएक वजन बढ़ना
    • सांस लेने में परेशानी
    •  क्रॉनिक कफ
    • बिना कोई मेहनत किए ही अत्यधिक पसीना आना
    • भूख न लगना, सामान्य की तुलना में खाना न खाना
    • गर्दन की नस का दिखना
    • सामान्य की तुलना में लीवर का बढ़ना

    बीमारी के कारणों पर एक नजर (Baby heart murmur Types)

    बेबी हार्ट मर्मर की बात करें तो दो प्रकार के हार्ट मर्मर होते हैं। पहला इनोसेंट मर्मर और दूसरा एबनॉर्मल मर्मर। इनोसेंट मर्मर से पीड़ित बच्चे का दिल सामान्य की तरह ही होता है। इस प्रकार की समस्या नवजात और छोटे बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है। एबनॉर्मल हार्ट मर्मर काफी गंभीर बीमारी होती है। बच्चों में एबनॉर्मल मर्मर की बीमारी सामान्य तौर पर अनुवांशिक हार्ट डिजीज के कारण होती है। वहीं वयस्कों में हार्ट वाल्व में परेशानी के कारण एबनॉर्मल मर्मर की समस्या होती है।

    जानें क्यों होता है एबनॉर्मल हार्ट मर्मर (Abnormal heart Murmur)

    बच्चों में एबनॉर्मल हार्ट मर्मर होने का मुख्य कारण आनुवांशिक कारण होता है। जन्म के समय ही असामान्य दिल यानि दिल का पूर्ण रूप से विकास नहीं होने के कारण हो सकता है। यह आनुवांशिक हार्ट डिफेक्ट की श्रेणी में आता है।
    हार्ट वाल्व से जुड़ी एबनॉर्मेलिटी : कई मामलों में जन्मजात ही हार्ट वाल्व में एब्नॉर्मेलिटी पाई जाती है। यह अनुवांशिक कारणों की वजह से हो सकता है। लेकिन कुछ मामलों में लंबे समय तक इस बीमारी का पता नहीं चलता है। इस कारण वाल्व सामान्य की तुलना में अच्छे से रक्त संचार नहीं कर पाता। या फिर खून का रिसाव ठीक से नहीं होता है उस कारण यह बीमारी हो सकती है।
     कार्डियक शंट या दिल में छेद होने के कारण : इसे सेप्टल डिफेक्ट भी कहा जाता है। दिल में छेद कई मामलों में गंभीर तो कई मामलों में सामान्य हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि छेद दिल में कितना बड़ा है और किस स्थान पर है
    कार्डियक शंट की समस्या तब होती है जब दिल के तमाम चैंबर, ब्लड वैसल्स में सामान्य रूप से रक्त का प्रवाह नहीं हो पाता। इस वजह से भी बेबी हार्ट मर्मर की समस्या होती है।
    एबनॉर्मल हार्ट मर्मर की समस्या इंफेक्शन और दिल की संरचना में डैमेज के कारण हो सकती है। वयस्कों और बड़े बच्चों में यह समस्या सामान्य हैं।
    रुमेटिक फीवर : भारतीय लोगों में यह बीमारी काफी रेयर पाई जाती है। बीमारी के होने पर यदि सही प्रकार से दिल में सामान्य रूप से रक्त का प्रवाह नहीं हो पाता।
    एंडोकारडिटिस (Endocarditis): हमारे दिल व वाल्व में होने वाला एक प्रकार का इंफेक्शन है। यह बीमारी तभी होती है जब हमारे मुंह, सहित शरीर के अन्य अंगों से होते हुए बैक्टीरिया रक्तकोशिकाओं के द्वारा हमारे दिल तक पहुंच जाए।
    एंडोकारडिटिस हमारे हार्ट वाल्व को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में पहले से हार्ट वाल्व एबनॉर्मेलिटी की बीमारी से जूझ रहे होते हैं उन्हें यह बीमारी होने की संभावनाएं काफी ज्यादा रहती है।
    वाल्व क्लासिफिकेशन : दिल के मिट्रल स्टेनोसिस और आरटिव वाल्स स्टेनोसिस में वाल्व का पतला और कड़ा होने के कारण यह समस्या होती है। इसके कारण  खून काफी मुश्किल से दिल में जा पाता है, और आगे चलकर बेबी हार्ट मर्मर की समस्या होती है।

     बेबी हार्ट मर्मर के अन्य कारण (Baby heart murmur other causes)

    बेबी हार्ट मर्मर की समस्या तभी होती है जब खून असामान्य रूप से हार्ट से गुजरता है। दिल में रक्त के असामान्य प्रवाह के कारण ही बेबी हार्ट मर्मर की समस्या होती है। इन कारणों से भी हो सकती है समस्या:
    – बुखार
    – शरीर में पर्याप्त रेड ब्लड सेल्स नहीं होने के कारण बॉडी के टिशू तक ऑक्सीजन के न पहुंच पाने के कारण
    – फिजिकल एक्टिविटी और एक्सरसाइज के कारण
    – प्रेग्नेंसी
    – शरीर में थायरायड हार्मोन की अधिकता के कारण (Hyperthyroidism)
    बेबी हार्ट मर्मर की समस्या समय के गुजरने के साथ खुद ब खुद ही ठीक हो जाती है, वहीं कुछ मामलों में यह जीवन भर रहती है। लेकिन इस कारण किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है।
    बता दें कि ज्यादातर बेबी हार्ट मर्मर या दिल की असामान्य ध्वनि के कारण कोई सीरियस समस्या नहीं होती है। लेकिन जब आप सोचते हैं कि आपका बच्चा बेबी हार्ट मर्मर की समस्या से पीड़ित है तो उस स्थिति में डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। पूरी तरह से जांच करने के बाद ही एक्सपर्ट तय करते हैं कि बच्चे को जांच की आवश्यकता है या फिर नहीं।

    बीमारी और इसके रिस्क फैक्टर पर एक नजर

    कुछ मेडिकल कंडीशन : अनकंट्रोल हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन), हायपोथायरायडिज्म, एंडोकार्डिटिस व दिल की लाइनिंग में इंफेक्शन, लंग्स में हाई ब्लड प्रेशर (pulmonary hypertension), कारसिनिओयड सिंड्रोम (carcinoid syndrome), हाईपीरियोसिनोफिलिक सिंड्रोम (hypereosinophilic syndrome), सिस्टेमेटिक लूपस अर्थेमेटोसस (systemic lupus erythematosus), रुमेटाइड अर्थराइटिस, कमजोर हार्ट मसल्स और हिस्ट्री ऑफ रुमेटाइड फीवर के कारण बेबी हार्ट मर्मर की समस्या होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती है।
     परिवार में किसी को हार्ट डिफेक्ट की समस्या : यदि परिवार में किसी सदस्य को दिल संबंधी बीमारी पूर्व में रही हो तो उस कारण बच्चों में दिल संबंधी बीमारी के साथ बेबी हार्ट मर्मर की समस्या होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

    एक्सपर्ट की लेनी चाहिए सलाह

    बीमारी का पता करने के लिए एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए। पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट कुछ प्रकार के टेस्ट की सलाह देता है, इनकी जांच के बाद बीमारी का पता करते हैं। कराई जाती है यह जांच :
    •  चेस्ट एक्स-रे, हार्ट और उसके आसपास के ऑर्गन की होती है जांच
    • इकेजी (इलेक्ट्रानिककार्डियोग्राम Electrocardiogram): इसकी जांच में दिल की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी की जांच की जाती है
    • इकोकार्डियोग्राम (echocardiogram) : हार्ट से निकलने वाले साउंड वेव को देख बीमारी का पता करने की एक्सपर्ट कोशिश करते हैं।

    इन फैक्टर के कारण बेबी हार्ट मर्मर की समस्या बढ़ सकती है (Baby heart murmur Risk Factors)

    प्रेग्नेंसी के दौरान प्रतिबंधित दवा का सेवन करने से : प्रेग्नेंसी के दौरान प्रतिबंधित दवा का सेवन करने के साथ शराब या ड्रग्स लेने के कारण शिशु में दिल संबंधी बीमारी होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
     प्रेग्नेंसी के समय बीमारी : प्रेग्नेंसी के दौरान किसी प्रकार की बीमारी जैसे अनकंट्रोल डायबिटीज, रूबेला इंफेक्शन के कारण आपके बच्चों में बेबी हार्ट मर्मर की बीमारी होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।

    क्या बीमारी से बचाव है संभव

    बेबी हार्ट मर्मर से बचाव को लेकर कोई खास उपाय नहीं है। लेकिन इस बात को जानना बहुत जरूरी है कि कहीं यह आपके लिए नुकसानहेद तो नहीं। इसके लिए समय रहते एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।  बच्चों में कई प्रकार के मर्मर जैसे जैसे बच्चा बढ़ते जाता है उसके साथ ही चली जाती हैं। लेकिन वयस्कों में यदि वो चाहे तो लक्षणों को देख उसका बचाव कर सकते हैं।

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    बेबी हार्ट मर्मर का परीक्षण (Baby heart murmur Diagnosis)

    डॉक्टर हृदय की गति को सुनने के लिए छाती के विभिन्न हिस्सों पर स्टैथौस्कोप लगाते हैं। यह डॉक्टर को हार्ट मर्मरिंग की आवाज सुनने में मदद करता है क्योंकि कुछ बच्चों के हृदय की मर्मर की आवाज बेहद हल्की होती है।

    हार्ट मर्मर को 1 से 6 के स्केल पर रेट किया जाता है कि वह तेज है या नहीं। ग्रेड 1 का मतलब होता है की साउंड बेहद सॉफ्ट है, वहीं ग्रेड 6 का मतलब होता है की साउंड बेहद तेज है। डॉक्टर के मर्मर की आवाज का पता चलने पर वह बच्चे को पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट के पास ले जाने की सलाह दे सकते हैं।

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    डॉक्टर के पास जानें पर क्या सवाल करें

    निम्न कुछ ऐसी टिप्स हैं जिनकी मदद से आपको डॉक्टर को समस्या के बारे में बताने और इलाज को समझने में आसानी होगी।

    • जाने से पहले उन सवालों की एक लिस्ट तैयार कर लें जिनके बारे में आप जानना चाहते हैं
    • डॉक्टर से मिलने पर परीक्षण, दवाओं और इलाज व टेस्ट के बारे में लिख लें। इसके साथ बच्चे का खास ध्यान रखने के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई सावधानियों के बारे में भी जरूर लिखें।
    • जाने की नई दवा या इलाज की आवश्यकता क्यों है और उससे आपके बच्चे को किस प्रकार मदद मिलेगी। इसके साथ ही दवाओं और इलाज के दुष्प्रभावों के बारे में भी जान लें।

    हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में बेबी हार्ट मर्मर से संबंधित हर जरूरी जानकारी देने की कोशिश की गई है। यदि आप इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो आप अपना सावाल हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमसे कमेंट में बता सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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