– बच्चे को टीवी और मोबाइल स्क्रीन के सामने ज्यादा देर न बैठने दें, उन्हें बाहर खेलने के लिए प्रेरित करें।
– बच्चों की डायट पर भी खास ध्यान दें, उन्हें ऐसी चीजें न दें, जिसे खाने पर वे हाइपरएक्टिव हो जाते हैं।
– परीक्षा में ज्यादा अंक लाने ये अधिक पढ़ाई के लिए बच्चे पर दबाव न बनाएं। तनाव ज्यादा होने से भी यह समस्या बढ़ जाती है।
– ऐसे बच्चों को पैरेंट्स को स्कूल और टीचर्स से भी इस बारे में बात करने की जरूरत है कि वह बच्चे का खास ख्याल रखे और सबके सामने उन्हें डांटे नहीं।
क्या एडीएचडी का कोई इलाज है? (Can ADHD be treated)
इसका कोई निश्चित उपचार नहीं है। हां, उपचार के कई तरीके हैं जिससे पीड़ित बच्चे/टीनेजर्च में इसके लक्षणों को कम करके उन्हें बेहतर जिंदगी के लिए प्रेरित किया जा सकता है, जिसमें स्टीम्युलेंट मेडिकेशन तो शामिल है ही। साथ ही कई थेरेपी की भी मदद ली जाती है।
साइकोथेरेपी- इसमें बच्चे की काउंसलिंग की जाती है। साइकोलॉजिस्ट पहले बच्चे की भावनाओं और उदासी का कारण जानकर उन्हें इसे बेहतर ढंग से हैंडल करना सिखाते हैं। बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने की कोशिश की जाती है। मरीज के साथ ही उसके परिवार के सदस्यों की भी काउंसलिंग की जाती है, क्योंकि मरीज को इस स्थिति से उबरने के लिए परिवार के सहयोग की बहुत जरूरत होती है।
बिहेवियरल थेरेपी- बच्चे के व्यवहार में सुधार लाने की कोशिश की जाती है। बच्चे को स्कूल का होमवर्क या दूसरे काम में मदद की जाती है और उन्हें खुद पर कंट्रोल रखना सिखाया जाता है। जैसे- गुस्से को काबू रखना या कोई काम सोच-समझकर करना आदि।
डांस थेरेपी- इस थेरेपी के जरिए उन्हें दूसरे बच्चों के साथ घुलने-मिलने के साथ ही शरीर पर नियंत्रण करना भी सिखाया जाता है। डांस से बच्चे अपने शरीर को बैलेंस और नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं।
प्ले थेरेपी- इस थेरेपी में पीड़ित बच्चे को दूसरे बच्चों के साथ खेलने के लिए प्रेरित किया जाता है। जिससे बच्चों की सेहत और नींद में सुधार आता है।
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एडीएचडी व्यवहार संबंधी समस्या है और इसमें मरीज अपनी भावनाओं और आवेगो पर काबू नहीं रख पाता है। ऐसी स्थिति में वह अपनी अतिसक्रियता (हाइपरएक्टिविटी) और आवेगो को कंट्रोल करने के लिए एल्कोहल या ड्रग्स का नशा करने लग जाता है। ऐसे में परिवार और पैरेंट्स को अपने बच्चों पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है।
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