के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
कई प्रकार के प्रोटीन से भरपूर खाने पीने की चीजों को मिलाकर प्रोटीन पाउडर को बनाया जाता है जैसे- हर्बल, सोयाबीन, मटर, चावल, आलू,अंडे या दूध आदि। इन सभी का एक कॉम्बिनेशन तैयार करने के बाद इसमें शुगर, विटामिन्स और खनिज तत्व मिलाए जाते हैं।
सप्लिमेंट के तौर पे दो तरह के प्रोटीन पाउडर होते है
व्हे प्रोटीन एक जल्दी से पचने वाला प्रोटीन है वहीं केसिन को पचने में काफ़ी समय लगता है।
ये सप्लीमेंट्स प्रोटीन डाइट के विकल्प के रूप इस्तेमाल किए जाते हैं। ये अतिरिक्त वज़न कम करने में कारगर और मांसपेशियों की मजबूती बढ़ाने में मदद करते हैं। ये अमीनो एसिड के अच्छे स्रोत होते हैं।
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वर्कआउट के बाद आपको ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है । एक्सरसाइज के बाद शरीर में ईंधन देने के लिए अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होती है क्योंकि इस स्थिति में आपको नार्मल प्रोटीन डाइट से अधिक प्रोटीन की जरूरत होती है ।
यदि आप वर्कआउट करने के दौरान मजबूत मांशपेशियां बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो आपको सामान्य रूप से अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होगी।
जब आप किसी चोट से उबर रहे हों तो उसे जल्दी ठीक करने में प्रोटीन पाउडर मदद करता है।
यदि आप शाकाहारी हैं तो आप मांस, चिकन और मछली सहित कई आम प्रोटीन स्रोतों से दूर हो जाते है। ऐसे में प्रोटीन पाउडर आपके शरीर में प्रोटीन की जरूरत को पूरा करता है।
व्हे प्रोटीन के बारे में अधिक जानने के लिए खेलिए ये क्विज:
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158 लोगों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि, प्रोटीन पाउडर लोगों का वजन घटाने में काफी मददगार है। वजन घाटने के दौरान यह शरीर से सिर्फ वसा को कम करता है। इसका हड्डियों या मांसपेशियों पर ज्यादा प्रभाव नहीं होता है।
इसमें कैंसर के उपचार के गुण भी पाए जाते हैं। हालांकि, यह कैंसर के उपचार में कितना लाभकारी हो सकता है, इस बारे में अभी भी उचित अध्ययन करने की आवश्यकता है।
ब्रिटिश जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्ययन ने 12 सप्ताह के लिए ओवरवेट वाले 70 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया। जिन्हें दिन में एक बार प्रोटीन का सेवन करने के लिए दिया गया। जिसमें पाया गया कि अध्ययन में शामिल लोगों में कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के लेवल में काफी कमी आई।
प्रोटीन अस्थमा वाले बच्चों में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में सुधार कर सकता है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फूड साइंस एंड न्यूट्रीशन में प्रकाशित एक छोटे से अध्ययन में इसका दावा किया गया है। अध्ययन के मुताबिक, अध्ययन में अस्थमा से पीड़ित कुछ बच्चों को शामिल किया गया था, जिन्हें 1 महीने तक रोजाना दिन दो बार 10 ग्राम प्रोटीन सप्लीमेंट का सेवन करने के लिए दिया गया। इसका परिणाम ये रहा कि बच्चों का अस्थमा कम होने के साथ-साथ उनको रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ी।
इंटरनेशनल डेयरी जर्नल में प्रकाशित शोध में पाया गया कि पेय पदार्थ के तौर पर प्रोटीन का सेवन करने से उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को कम किया जा सकता है। साथ ही, यह हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे को भी कम कर सकता है।
प्रोटीन मसल्स ग्रोथ के लिए सबसे जरूरी है। कई एथलीट्स और जिम जाने वाले लोग प्रोटीन शेक का यूज करते हैं। 2018 की एक स्टडी के अनुसार प्रोटीन सप्लिमेंट्स मसल्स की साइज और उसकी स्ट्रेंथ को बढ़ाने में मदद करते हैं। जो लोग वेट लिफ्टिंग और रेजिस्टेंस ट्रेनिंग एक्सरसाइज करते हैं उनके लिए ये खास लाभदायक हैं। यह महिला और पुरुष दोनों के लिए असरकारक हैं। हालांकि इनका प्रभाव उम्र पर भी निर्भर करता है। यंगस्टर्स की तुलना में ओल्ड एज के लोगों को प्रोटीन की ज्यादा जरूरत होती है।
19 साल या इससे ज्यादा उम्र के पुरुषों को 46 ग्राम प्रोटीन, वहीं इसी एज ग्रुप की महिलाओं को 56 ग्राम प्रोटीन की रोज जरूरत होती है। जो लोग इन मात्रा को डायट से प्राप्त नहीं कर पाते उन्हें सप्लिमेंट्स लेने की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं। ऐसा ज्यादातर शाकाहारी लोगों के साथ होता है। एथलीट्स, वेट लिफ्टर्स, बुर्जुगों और क्रोनिक डिजीज से पीड़ित लोगों को प्रोटीन के ज्यादा इंटेक की जरूरत होती है। सप्लिमेंट्स का उपयोग इन सभी के लिए एक अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है, लेकिन इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह पर करें तो ठीक होगा।
क्लिनिकल एंड इंवेस्टिगेटिव मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि प्रोटीन का सेवन करने से एचआईवी पॉजिटिव रोगियों को वजन घटाने में मदद मिल सकती है।
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अमेरिकन कॉलेज ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन और पोषण और आहार विज्ञान अकादमी से द्वारा मानक खुराक:
अगर आपका इससे जुड़ा कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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