एल्डरबेरी सबसे ज्यादा दवाइयों में इस्तेमाल होने वाले पौधों में से एक है। इसका वानस्पातिक नाम सैम्बूकस (Sambucus) है। देखने में ये बिल्कुल जामून जैसी लगती है। सदियों से अमेरीका के लोग एल्डरबेरी का इस्तेमाल इंफेक्शन को दूर करने के लिए करते आ रहे हैं। प्राचीन मिस्त्र के लोग इसका उपयोग त्वचा की रंगत सुधारने और घाव भरने के लिए करते हैं। एल्डरबेरी पेड़ के फूल और पत्तियों में भी ओषधीय गुण होते हैं। इसके फूल कैरोटीन, टैनिक, पैराफिन और कोलीन जैसे तत्वों का स्त्रोत हैं।
एल्डरबेरी के फूलों और पत्तियों को दर्द से राहत, सूजन और पसीना उत्पन्न करने के लिए प्रयोग किया जाता है। सूखी बेरी और जूस को इन्फ्लूएंजा, संक्रमण, स्कायटिका, सिरदर्द, दांत दर्द और हृदय दर्द के इलाज के लिए अच्छा माना जाता है। बेरी को पकाकर जूस, जैम, चटनी, पाई और वाइन भी बनाई जाती है।
एल्डरबेरी का उपयोग निम्नलिखित कारणों से किया जाता है। जैसे-
इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो कोल्ड और कफ (सर्दी-जुकाम) को दूर करने के साथ इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करते हैं। कुछ लोग एल्डरबेरी को कोल्ड, फ्लू, स्वाइन फ्लू के लिए लेते हैं। इसे एचआईवी, एड्स के इलाज में और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए भी लिया जाता है।
एल्डरबेरी साइनस के कारण होने वाले दर्द, पैरों में दर्द, नर्व पेन और क्रॉनिक फटिग सिंड्रोम से भी राहत दिलाता है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह पर ही करें।
एल्डरबेरी विटामिन सी, डायटरी फाइबर, फिनोलिक एसिड, फ्लेवानोल और एंथोस्यानिस का अच्छा स्त्रोत है। यानी इसके सेवन से आपको ये सभी चीजें एक साथ मिल जाएंगी।
एल्डरबेरी दिल और रक्त वाहिका जो शरीर में रक्त का परिवहन करती हैं दोनों को स्वस्थ रखने में मद्दगार है। कई शोधों में भी ये निष्कर्ष निकला है कि इसके जूस को पीने से खून में से फैट कम होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इसके अलावा, इसमें फ्लेवोनोइड और एंथोसायनिन जैसे कम्पाउंड भी होते हैं जो रक्तचाप को कम कर दिल संबंधित परेशानियों से कोसों दूर रखते हैं।
एल्डबेरी में एंटी एजिंग और फ्री रेडिकल फाइटिंग प्रॉपर्टीज होती हैं, जो स्किन को नैचुरल डिटॉक्सिफाई करता है। इससे स्किन पर किसी तरह के ब्रेकआउट, पिंप्ल और निशान नहीं होते हैं। ये दो मुंह बालों से लेकर स्कैल्प पर कोई परेशानी को दूर करने भी मददगार है। साथ ही बालों की ग्रोथ में भी सुधार करता है।
एल्डरबेरी और दूसरी सामग्री के साथ बनाई गई चाय कब्ज की परेशानी से राहत दिलाता है।
एल्डरबेरी में हेमेग्लुटिनिन प्रोटीन (Haemagglutinin protein) होता है, जो कोशिकाओं में प्रवेश होकर वायरस को फैलने से रोकता है। अगर संक्रमण होने के बाद इसका सेवन किया जाए तो यह वायरस को फैलने से रोकता है। इससे इन्फ्लूएंजा के लक्षणों की अवधि भी कम होती है।
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एल्डरबेरी हमारे स्वास्थ्य के लिए वरदान की तरह है लेकिन, इसे सावधानी से लेना भी बहुत जरूरी है वरना यह आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। एल्डरबेरी के जूस का लगातार 12 हफ्ते तक सेवन करना काफी हद तक सेफ है। इस बारे में कोई वैज्ञानिक जानकारी नहीं है कि अगर इसे लंबे समय तक लिया जाए तो ये कितना सुरक्षित है।
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वैसे तो इसका सीमित मात्रा में सेवन करने से कोई नुकसान नहीं हैं, लेकिन इसे अधिक मात्रा में खाने से कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। जैसे-
इन परेशानियों के साथ-साथ अन्य परेशानी भी हो सकती है। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से संपर्क करें। ये लक्षण किसी दूसरी कंडिशन के भी हो सकते हैं। इस बात का भी ध्यान रखें।
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वैज्ञानिक अनुसंधान में निम्नलिखित खुराक का अध्ययन किया गया है-
फ्लू में एक चम्मच एल्डरबेरी जूस को तीन से पांच दिन तक पी सकते हैं। अगर आप एल्डरबेरी लोजेंज ले रही हैं तो 175 मिलीग्राम की टैबलेट को दो दिन तक चार बार लें।
हर्बल सप्लिमेंट्स की खुराक हर मरीज के लिए अलग होती है। ये मरीज की उम्र, सेहत और स्वास्थय पर निर्भर करती है। हर्बल सप्लिमेंट्स हमेशा सेफ नहीं होते हैं। इसलिए हमेशा इन्हें लेने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
एल्डरबेरी का उपयोग आंतरिक और बाहरी दोनों तरह से किया जाता है।
रिसर्च के अनुसार इसे कच्चा नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे शारीरिक परेशानी हो सकती है।
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