फ्लूगार्ड (fluguard)
सन फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने फेविपिराविर को फ्लूगार्ड के नाम से बाजार में उतारा।
फेबिफ्लू (fabiflu)
ग्लेनमार्क फार्मा ने एंटीवायरल दवा फेबिफ्लू (Fabiflu) निकाली।
अन्य एक्सपेरिमेंटल दवाएं इस प्रकार हैं।
रेमडेसिविर (Remdesivir)
फेविपिराविर की ही तरह रेमडेसिविर को भी कई कंपनियों ने ब्रांड नाम से बाजार में उतारा और इसे कथित तौर पर कोरोना वायरस की दवाएं कहा गया। इसे वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गनाइजेशन ने कोरोना वायरस की दवाओं की लिस्ट से बाहर कर दिया।
कैसे काम करती है रेमडेसिविर (remdesivir)?
रेमडेसिविर को (Gilead Sciences) ने इबोला का इलाज करने के लिए बनाया था। यह कोरोना वायरस की कॉपी बनाने में मदद करने वाले एंजाइम को ब्लॉक करती है। इस वजह से वायरस शरीर में नहीं फैल पाता। रेमडेसिविर को 12 साल या ज्यादा उम्र के लोगों को दिया जाता था।
रेमडेसिवीर को इन नामों से कंपिनयों ने बाजार में उतारा
माइलन (mylan) ने रेमडेसिवीर के जेनरिक वर्जन को लॉन्च किया। इस दवा को केवल इमरजेंसी में इस्तेमाल किए जाने की अनुमति मिली।
कोविफोर (covifor)
हेटरो फार्मा ने कोविफोर को बाजार में उतारा। इस दवा को केवल अस्पताल में भर्ती मरीजों को देने की अनुमति थी। घर में रहने वाले रोगी यह नहीं ले सकते थे। इसके साथ ही यह इलाज के दौरान बस 6 बार उपयोग की जा सकती थी। यह भी एक वैक्सीन है।
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जुबी.आर (jubi.r)
जुबिलेंट लाइफ साइंसेस ने जुबी.आर को लॉन्च किया।
सिपेर्मी (cipermi)
सिपला ने रेमडेसिवीर के वर्जन सिपेर्मी को लॉन्च किया। डीसीजीए ने इस कोरोना वायरस की दवाएं का इस्तेमाल एडल्ट व बच्चों पर इमरजेंसी के दौरान करने की अनुमति दी।
भारत में इस वायरस से लड़ने के लिए उपयोग की गई अन्य कोरोना की दवाएं निम्न हैं।