के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
ओपन कॉलेसिस्टेक्टमी पित्ताशय यानी कि गॉलब्लैडर (Gallbladder) से संबंधित सर्जरी है। पित्ताशय में स्टोन या पथरी हो जाती है, जिसे सर्जरी के द्वारा निकाला जाता है। गैलब्लैडर में होने वाली इस सर्जरी को ओपन कॉलेसिस्टेक्टमी सर्जरी कहते हैं। गॉलब्लैडर में स्टोन होना एक आम समस्या है और एक ही परिवार में कई लोगों को हो जा रही है। पित्त की थैली में पथरी होने का सबसे बड़ा कारण है फैट युक्त भोजन की ज्यादा मात्रा लेना।
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जब गॉलब्लैडर में स्टोन बन जाते हैं तो ओपन कॉलेसिस्टेक्टमी सर्जरी की जरूरत पड़ती है। ये सर्जरी तब की जाती है जब पित्ताशय में पथरी के कारण दर्द होता है। पहले तो इस पथरी को डॉक्टर दवा के जरिए ही दूर करने की कोशिश करते हैं। लेकिन अगर ये पथरी दवाओं से भी नहीं निकल रही है, तो कॉलेसिस्टेक्टमी सर्जरी करने का निर्णय लिया जाता है। इस पथरी के बढ़ने से दर्द इतना तेज होता है कि व्यक्ति सह नहीं पाता। ऐसे में ही इस सर्जरी को किया जाता है।
जब गॉल ब्लैडर में तरल पदार्थ सूखने लगते हैं तो उसमें अन्य माइक्रोन्यूट्रिएंट्स तत्व एक साथ जमा हो जाते हैं। फिर ये पत्थर जैसे हो जाते हैं। इन्हें गॉलस्टोन कहा जाता है। इससे गॉल ब्लैडर में सूजन और पित्त प्रवाह में रुकावट भी आ सकती है। इस रुकावट के आने से पेट के साइड में काफी दर्द होता है। यही कारण है कि इस समस्या में सर्जरी का सहारा लेकर इसे जड़ से खत्म किया जाता है।
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ओपन कॉलेसिस्टेक्टमी सर्जरी में बड़े चीरे लगते हैं। अगर गॉलब्लैडर की जगह पर आपका ऑपरेशन पहले भी हो चुका है तो दोबारा उसी जगह पर ऑपरेशन करने से ब्लीडिंग ज्यादा होने का खतरा रहता है। इसके अलावा अगर आपको अन्य कोई समस्या है तो डॉक्टर को जरूर बताएं। ओपन सर्जरी के तुलना में आपको लैप्रोस्कोपिक सर्जरी बेहतर रहेगी लेकिन, फिर भी आप डॉक्टर से बात कर लें कि कौन सी सर्जरी आपके लिए सही हो सकती है।
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ओपन कॉलेसिस्टेक्टमी या लैप्रोस्कोपिक कॉलेसिस्टेक्टमी के अलावा अन्य तकनीक से भी डॉक्टर पित्ताशय की थैली को गलाते या छोटे टुकड़ों में तोड़ते हैं। लेकिन, ये पूरी तरह से सफल नहीं माना जा सकता है। इसलिए सर्जन ओपन और लैप्रोस्कोपिक सर्जरी को ही बेस्ट मानते हैं। क्योंकि सर्जरी के अलावा के विकल्प अपनाने से पथरी दोबारा हो सकती है।
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ओपन कॉलेसिस्टेक्टमी सर्जरी कराने से पहले आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। डॉक्टर से मिल कर आपको अपनी दवाओं (जो आप पहले से ले रहे हो), एलर्जी और हेल्थ कंडिशन के बारे में बात करनी चाहिए। इसके साथ ही आप अपने एनेस्थेटिस्ट से भी मिलें और सुन्न या बेहोश करने की प्रक्रिया प्लान करें। साथ में आप अपने डॉक्टर से जान लें कि आपको सर्जरी से पहले क्या खाना पीना चाहिए। इसके अलावा आप अपने डॉक्टर से ये भी पूछ लें कि सर्जरी से कितने घंटे पहले से खाना पीना बंद करना है। परिवार के लोगों को भी आप डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों के बारे में बता दें। ज्यादातर मामलों में सर्जरी कराने से आठ घंटे पहले से कुछ भी नहीं खाना होता है। ऐसे में डॉक्टर द्वारा बताए गए तरल पदार्थ या ड्रिंक्स ही लें।
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ओपन कॉलेसिस्टेक्टमी सर्जरी करने में लगभग 60 से 80 मिनट का समय लगता है। सर्जरी से पहले आपको एनेस्थेटिस्ट बेहोश करते हैं। इसके बाद सर्जन आपके पेट पर बड़ा चीरा लगाते हैं। इसके बाद सर्जन पित्ताशय वाहिनी (Cystic Duct) और धमनी को पित्ताशय से अलग करते हैं। फिर गॉलब्लैडर को लिवर से अलग करते हैं। इसके बाद गॉलब्लैडर को निकाल देते हैं। इसके बाद चीरे वाले स्थानों पर टांकें लगाते हैं।
ओपन कॉलेसिस्टेक्टमी सर्जरी के दौरान कई जोखिम हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि ये सभी के साथ हो। सर्जरी के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है। इसके अलावा खून की नसें भी डैमेज हो सकती हैं। ये सभी कॉम्प्लिकेशन शायद ही कभी हो। वहीं, निम्न परेशानियां सर्जरी में आती हैं :
इसलिए सर्जरी के बाद डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को समय से खाते रहें। डॉक्टर द्वारा दिए गए डायट प्लान को भी फॉलो करें।
तो आपको इस आर्टिकल में बताई गई जानकारियां कैसी लगी हमें जरूर बताएं। यहां हमने आपको इस सर्जरी से जुड़ी सभी तरह की जानकारियां देने की कोशिश की हैं। इसमें हमने आपको बताया कि आखिर ये सर्जरी किस लिए की जाती है। साथ ही यह भी जाना कि इस सर्जरी की प्रक्रिया क्या है, इस सर्जरी के बाद खुद का कैसे ख्याल रखना चाहिए, हमने इस आर्टिकल में सब कुछ बताने की कोशिश की है। इसके अलावा भी अगर आपके कोई और सवाल हैं तो हमसे हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सवालों के जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे।
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