के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
सामान्य तौर पर हम पेशाब मूत्रनली नाम की छोटी मजबूत नलियों के माध्यम से करते हैं, जो हमारी किडनी से होते हुए मूत्राशय में जाता है। कभी-कभी इसकी एक या दोनों नलियां ब्लॉक हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में नेफ्रोस्टॉमी की प्रक्रिया से कैथेटर (ट्यूब) का इस्तेमाल करके किडनी से मूत्र को निकालने की प्रक्रिया की जाती है। इसकी प्रक्रिया रेडियोलॉजिस्ट (एक्स-रे और स्कैन के एक्सपर्ट) की देखरेख में की जाती है।
आमतौर पर शरीर के बाहर से गुर्दे की श्रोणि (गुर्दे का वह भाग जो मूत्र एकत्र करता है) को खोलने के लिए सर्जरी की जाती है। जिसे ही नेफ्रोस्टॉमी की प्रक्रिया कहा जाता है। यह एक अवरुद्ध यानी ब्लॉक हुए गुर्दे से मूत्र को बाहर निकालने या शरीर के बाहर एक थैली में अवरुद्ध मूत्रवाहिनी के लिए भी किया जा सकता है। नेफ्रोस्टॉमी की प्रक्रिया के लिए एंडोस्कोप (एक कैमरे से जुड़ी पतली, हल्की ट्यूब) का उपयोग किया जाता है। इसकी मदद से गुर्दे को सर्जरी के दौरान देखा जा सकता है। इसकी मदज से एंटीकैंसर दवाओं को सीधे गुर्दे में डाला जा सकता है या गुर्दे की पथरी यानी किडनी स्टोन का उपचार भी किया जा सकता है।
ऐसे लोग जिन्हें कैंसर है और कैंसर की वजह से उनकी एक या दोनों मूत्रनली ब्लॉक हो गई है, तो उन्हें इस सर्जरी की जरूरत हो सकती है। इसके अलावा नेफ्रोस्टॉमी की जरूरत कई स्वास्थ्य स्थितियों में की जा सकती हैं। हालांकि, मूत्रवाहिनी के बाधित होने और मूत्रत्याग से जुड़ी समस्याओं के उपचार और निदान के लिए इसका इस्तेमाल करना सबसे सुरक्षित और आसान विधि मानी जाती है। नेफ्रोस्टॉमी का उपयोग विभिन्न एन्ट्रोग्रेड एंडोरोग्लिक प्रक्रियाओं के लिए ऊपरी मूत्र पथ तक पहुंच प्राप्त करने के लिए भी किया जा सकता है, जैसे कि इंट्राकोर्पोरियल लिथोट्रिप्सी, किडनी स्टोन की स्थिति, मूत्रवाहिनी के एन्टोग्रोग रेडियोलॉजिक अध्ययन और डबल-जे स्टेंट प्लेसमेंट।
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कभी-कभी इसकी समस्या के उपचार के लिए सर्जरी की जा सकती है। हालांकि, इसमें समय लग सकता है और नेफ्रोस्टोमी आपकी किडनी को सही से काम करने में मदद करेगा। कुछ लोगों को केवल थोड़े समय के लिए नेफ्रोस्टोमी की जरूरत हो सकती है, जबकि कुछ लोगों को यह ट्यूब स्थायी रूप से लगाई जा सकती है। आपके लिए किस तरह की प्रक्रिया सबसे उचित होगी, सर्जरी से पहले आपका डॉक्टर आपको इसके बारे में अधिक जानकारी देंगे।
इसलिए यह सर्जरी करवाने से पहले इससे होने वाले लाभ और संभावित जोखिमों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर या सर्जन से इसके बारे में अधिक जानकारी लें।
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आपको अपनी स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। मौजूदा समय में आप किन दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं, इसकी पूरी जानकारी अपने डॉक्टर को देनी चाहिए। साथ ही, अगर आपको किसी तरह की एलर्जी है तो उसकी जानकारी भी अपने डॉक्टर को दें।
सर्जरी से पहले आपको किस तरह की तैयारी करनी चाहिए, इसके बारे में आपका डॉक्टर आपको जरूरी दिशा-निर्देश देंगे। इस दौरान आपको यह भी बताया जाएगा कि सर्जरी से कितने घंटे पहले आपको खाना-पीना बंद करना चाहिए।
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इसकी प्रक्रिया के दौरान रेडियोलॉजिस्ट आपके बैक के जरिए कैथेटर अंदर डालेंगे और आपकी किडनी में सुई और गाईडवायर (पतली लचीली तार) डालेंगे। जब रेडियोलॉजिस्ट को लगेगा कि सुई अपने सही स्थान पर है, तब वे उसे कैथेटर की जगह पर लगा देंगे। कैथेटर में प्लास्टिक का एक बैग लगा हुआ होगा जिसमें आपके पेशाब को इक्ठ्ठा किया जाएगा।
नेफ्रोस्टॉमी की प्रक्रिया के लिए आपको अपने पेट के बल लेटना होगा। इस दौरान आपको आमतौर पर एक तरफ थोड़ा तकिया पर उठाया जाता है। सर्जरी की प्रक्रिया के दौरान आपको दर्द का अनुभव न हो इसके लिए सर्जन आपको इंजेक्शन के माध्ययम से ऐनेस्ठीशिया की खुराक देंगे। इसके अलावा शरीर के जिस हिस्से में भी कैथेटर प्रवेश करने की जरूरत होगी, उसके आस-पास की त्वचा के क्षेत्र को सुन्न करने के लिए भी सर्जरी की प्रक्रिया से पहले ऐनेस्थेशिया का इस्तेमाल किया जाएगा।
नेफ्रोस्टॉमी की प्रक्रिया पूरी करने के लिए अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे या सीटी के जरिए सर्जन इसकी प्रक्रिया पर निगरानी रखेंगे। इसकी देखरेख में ही सर्जन इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट त्वचा के माध्यम से और गुर्दे में एक सुई डालेंगे और फिर सुई के माध्यम से एक तार डालेंगे और तार के ऊपर गुर्दे में नेफ्रोस्टोमी ट्यूब डाल देंगे।
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नेफ्रॉस्टोमी की प्रक्रिया से समस्याओं का जोखिम कम रहता है। हालांकि, कुछ जोखिम देखे जा सकते हैंः
इसकी प्रक्रिया के बाद आपके डॉक्टर बहुत ही सावधानी और बारीकियों से आपके स्वास्थ्य की निगरानी करेंगे। किसी भी तरह से लक्षण होने पर तुरंत उसका उपचार कर सकते हैं।
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नेफ्रोस्टॉमी सर्जरी के बाद कुछ रोगी गुर्दे से मामूली रक्तस्राव की शिकायत महसूस कर सकते हैं। हालांकि, आमतौर पर किडनी से खून के बहाव की समस्या बहुत ही कम हो सकती है, इसकी संभावना 5 फिसदी से भी कम रोगियों में देखी जाती है। वहीं, लगभग 500 में से कम से कम एक रोगी नेफ्रोस्टोमी की सर्जरी के दौरान बट के घायल होने की भी समस्या हो सकती है। हालांकि इस सर्जरी की प्रक्रिया के बाद अस्थायी समय के लिए निम्न तापमान का बुखार होना आम स्थिति होती है, लगभग 1 से 3 फीसदी रोगियों में उच्च तापमान का बुखार हो सकता है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
डिस्क्लेमर
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