लुइस एक साधारण परिवार में जन्मा एक सामान्य बालक था। नेत्रहीन होने के बाद भी संसार से लड़ने की उसमें प्रबल इच्छाशक्ति थी। लुइस ने अपनी दृष्टिहीनता से हार नहीं मानी और वह मशहूर पादरी बैलेन्टाइन के पास गया। बैलेन्टाइन पादरी के प्रयासों के फलस्वरूप 1819 में 10 वर्षीय लुइस को ‘रॉयल इंस्टिट्यूट फॉर ब्लाइंड्स’ में दाखिला मिल गया। 1821 तक आते-आते लुइस 12 साल का हो गया था। इसी दौरान विद्यालय में लुइस को पता चला कि शाही सेना के रिटायर्ड कैप्टन चार्ल्स बार्बर ने सैनिकों के लिए एक ऐसी लिपि का विकास किया है, जिससे अंधेरे में टटोलकर संदेशों को पढ़ा जा सकता है।
कैप्टन चार्ल्स बार्बर ने इस लिपि का विकास सैनिकों को पेश आने वाली दिक्कतों को कम करने के उद्देश्य से किया था। इसी दौरान लुइस के दिमाग में सैनिकों को द्वारा टटोलकर पढ़ी जाने वाली कूटलिपि में नेत्रहीन लोगों के लिए पढ़ने की संभावनाओं को तलाश कर रहा था। इस उद्देश्य से लुइस ने पादरी बैलेन्टाइन से चार्ल्स बार्बर से मिलने की इच्छा जताई। पादरी ने लुइस की कैप्टन से मिलने का व्यवस्था की। लुइस कैप्टन चार्ल्स बार्बर से मिले। उन्होंने कैप्टन को लिपि में कुछ संशोधन का प्रस्ताव दिया। कैप्टन लुइस के आत्मविश्वास को देखकर एकाएक हैरान रह गए।
लुइस ने इसी लिपि में तकरीबन आठ वर्षों तक अन्वेषण किया और 1829 में एक ऐसी लिपि तैयार की, जिसे नेत्रहीन लोग टटोलकर पढ़ सकते थे। मौजूदा समय में इस लिपि को ब्रेल लैंग्वेज या ब्रेल भाषा (Braille Language) के रूप में जाना जाता है। दुनियाभर में हजारों नेत्रहीन लोग ब्रेल लिपि (Braille Script) की सहायता से अपना संर्वांगीण विकास कर रहे हैं। नेत्रहीन लोगों के लिए ब्रेल लिपि (Braille Script) का विकास करने वाले लुइस ब्रेल किसी युग पुरुष से कम नही हैं।
उपरोक्त तथ्यों से आपको नेत्रहीन लुइस ब्रेल और ब्रेल लिपि के बारे में पर्याप्त जानकारी हो गई होगी। अंतरराष्ट्रीय ब्रेल दिवस पर नेत्रहीन लोगों की समस्याओं को समझने का यह एक अच्छा मौका है। आप चाहें तो इस संबंध में अपने आसपास दिखने वाले नेत्रहीन लोगों से बातचीत कर सकते हैं।
नेत्रहीन लोगों की समस्याएं और चुनौतियां
आसपास की जगहों को ढूंढने में परेशानी
किसी भी नेत्रहीन के लिए, जो पूर्णतः दृष्टिहीन है अपने आसपास की जगहों को तलाशना सबसे जटिल कार्य है। आमतौर पर नेत्रहीन लोग अपने घर के आसपास के इलाकों में आसानी से आवाजाही कर सकते हैं, क्योंकि वह उस क्षेत्र से वाकिफ होते हैं। यदि आप किसी नेत्रहीन व्यक्ति के साथ रह रहे हैं तो बिना उन्हें सूचित किए ऐसी किसी भी वस्तु की स्थिति में कोई परिवर्तन न करें, जिनसे उन्हें इसे ढूंढने में दिक्कत आए।
हालांकि, बाजार और अन्य कमर्शियल जगहों पर टेकटाइल्स लगी हुई होती हैं, जिनकी मदद से नेत्रहीन अपने गंतव्य का पता लगा लेते हैं। दुर्भाग्यवश ज्यादातर जगहों पर इन टेकटाइल्स की व्यवस्था नहीं की गई है। इस स्थिति में नेत्रहीन को ऐसी जगहों पर आने जाने में एक चुनौती का सामना करना पड़ता है।
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पढ़ने की सामग्री में चुनौती