इस सर्जरी के लिए डॉक्टर एक फ्रीजिंग यंत्र का इस्तेमाल करते हैं। जिससे रेटिना फ्रीज किया जाता है और स्कार का निर्माण करके आंख का पर्दा जहां फटा होता है उसे ठीक किया जाता है।
डिटैच्ड रेटिना सर्जरी
ज्यादातर मरीजों में रेटिना को उसी स्थान पर लाने के लिए रेटिना की सर्जरी करनी पड़ती है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो मरीज का विजन धुंधला हो सकता है या हमेशा के लिए खो सकता है। इस सर्जरी में ऑपरेशन की विधियां रेटिना के डिटैचमेंट पर निर्भर करती है, लेकिन लेजर सर्जरी या क्रायोपेक्सी के बाद ही निम्न सर्जरी को किया जाता है।
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स्क्लेरल बकल (Scleral buckle)
स्क्लेरल बकल में आंखों के चारों तरफ एक फ्लेक्सिबल बैंड लगाया जाता है, इस बैंड को स्क्लेरल बकल कहते हैं। स्क्लेरल बकल के प्रेशर से डॉक्टर रेटिना के पीछे गए हुए विट्रिअस जेल को निकालने की कोशिश करते हैं। इसके बाद रेटिना को उसके स्थान पर खिसका के फिक्स करने का प्रयास करते हैं। ये सर्जरी ऑपरेटिंग रूम में की जाती है।
न्यूमेटिक रेटिनोपेक्सी (Pneumatic retinopexy)
न्यूमेटिक रेटिनोपेक्सी में डॉक्टर आपकी आंखों में इंजेक्शन की मदद से एक बुलबुला बनाते हैं। जो आपकी आंखों के पीछे की वॉल में रेटिना पर दबाव बनाकर ऊपर खिसकाता है। इसके बाद सर्जन आपको सिर को एक तरफ ही करने के लिए कहेंगे। जिससे बुलबुले द्वारा रेटिना पर दबाव बनाने में आसानी रहेगी। फिर रेटिना को उसके स्थान पर आने के बाद उसे सील कर दिया जाता है। कुछ समय के बाद आंखों के अंदर से बुलबुला अपने आप गायब हो जाता है।
विट्रेक्टमी (Vitrectomy)
विट्रेक्टमी में रेटिना डिटैचमेंट को फिक्स किया जाता है। इस सर्जरी में रेटिना के अंदर मौजूद विट्रिअस जेल को इंजेक्शन की मदद से बाहर निकाल दिया जाता है। जिसके बाद विट्रिअस जेल के स्थान पर गैस या ऑयल बबल का निर्माण किया जाता है। ये बुलबुला पूरी तरह से आंखों को कवर कर लेता है, जिसके बाद जहां पर आंख का पर्दा फटा होता है, उस जगह पर लेजर के द्वारा उसे बंद किया जाता है। कुछ दिनों के बाद आंखों में डाले गए बबल को निकाल लिया जाता है। कुछ मामले में स्क्लेरल बकल के साथ ही विट्रेक्टमी की जाती है।
ऊपर बताई गई सभी सर्जरी 80 से 90 फीसदी मामलों में सफल रही है। इसलिए डॉक्टर आपके रेटिनल डिटेचमेंट के आधार पर ही सर्जरी के प्रकार का चुनाव करते हैं।
रेटिनल डिटेचमेंट से कैसे बचा जा सकता है?
यूं तो रेटिना के डिटैच होने से बचने का कोई सटीक तरीका नहीं है, लेकिन कुछ तरीकों को अपनाकर हम इससे बहुत हद तक बच सकते हैं। अगर आप कोई भी स्पोर्ट्स खेल रहे हैं तो आप आई वियर पहन कर ही खेलें, जिससे आंखों पर चोट न लग सके। अगर आपको डायबिटीज है तो भी अपने डॉक्टर से रूटीन आई चेकअप कराते रहें। अगर आपको कभी भी हेड इंजरी हो या आई इंजरी हो तो डॉक्टर से तुरंत मिलें और आंखों की पूरी जांच कराएं।