के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
काजीपूत ऑयल काजीपुट पेड़ (Melaleuca leucadendra) और पेपरबार्क ट्री (Melaleuca quinquenervia) की ताजी पत्तियों द्वारा निर्मित किया जाता है। ये श्वसन समस्याओं के लिए एक हेमोस्टेटिक, एनाल्जेसिक और एक नैचुरल रिलिवर है। काजीपूत तेल का उपयोग सर्दी, सिर दर्द, दांत दर्द और ट्यूमर के इलाज के लिए किया जाता है। यह कफ की समस्या को दूर करने के लिए एक टॉनिक के रूप में काम करता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल खुजली की समस्या को दूर करने के लिए भी किया जा सकता है। साथ ही, यह त्वचा के फंगल संक्रमण (टिनिया वर्सीकोलर) के लिए भी मददगार हो सकता है।
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काजीपूत ऑयल का इस्तेमाल गठिया के दर्द और अन्य दर्द के इलाज के लिए व्यावसायिक रूप से किया जाता है। मार्केट में इसके लिए एंटीसेप्टिक लोशन और अन्य रूपों में दवाईयां उपलब्ध है। मार्केट में इसका तेल भी आसानी से मिल जाता है।
काजीपूत ऑयल सांस से जुड़ी तमाम परेशानियों को दूर करने में काफी मददगार होता है।
दांतो के इलाज में भी काजीपूत ऑयल काफी मददगार होता है। दांत निकलते समय या टूट जाने के दौरान होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए इसके तेल का इस्तेमाल करना काफी लाभदायक होता है।
इसके तेल का इस्तेमाल भोजन और पेय पदार्थों में भी किया जाता है। यह भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए एक मसाले के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
इसका तेल ठंड और फ्लू के मौसम से बचाव करने के लिए काफी कारगर होता है। ठंडियों में रूखी त्वचा से राहत पाने के लिए शरीर पर इसके तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, त्वचा पर लगाने से पहले इसके तेल को बहुत ही पतला कर लेना चाहिए, नहीं तो यह त्वचा में जलन का कारण भी बन सकता है।
काजीपूत ऑयल बैक्टीरिया, वायरस और कवक के संक्रमण से लड़ने में बहुत कुशल होता है, यह टेटनस (बैक्टीरिया), इन्फ्लूएंजा (वायरस) और संक्रामक रोगों, जैसे हैजा और टाइफाइड से शरीर का बचाव करने में काफी मददगार होता है। यह बाहरी रूप से कटे हुए घावों को जल्दी भरता है।
काजीपूत ऑयल पेट से जुड़ी समस्याएं, जैसे गैस या पेट फूलने की परेशानी से राहत दे सकता है क्योंकि इसमें कार्मिनिटिव गुण होते हैं। यह गैस के निर्माण को प्रतिबंधित करता है और आंतों में पहले से बनी गैस को निकालने में मदद भी करता है।
इन स्थितियों में भी है लाभकारीः
पौराणिक समय से इसका उपयोग कोल्ड, कफ संबंधित इंफेक्शन के लिए किया जाता है। स्किन पर किसी तरह के फंगल इंफेक्शन के लिए बेहद कारगर माना जाता है। इसका प्रयोग दूसरे एंटीसेप्टिक लोशन में मिलाकर भी किया जाता है। दंतचिकित्सा (Dentistry) में दांत निकालने के बाद मसूड़ों के दर्द से राहत के लिए इस तेल का उपयोग किया जाता है।
काजीपूत ऑयल कैसे काम करता है इस बारे में कोई वैज्ञानिक जानकारी नहीं है। इसके बारे में अधिक जानने के लिए डॉक्टर या हर्बलिस्ट से कंसल्ट करें। हालांकि, कुछ शोध बताते हैं कि काजीपूत ऑयल में सीनिऑल (cineole) नामक केमिकल होता है। इस तेल को स्किन पर लगाने से सीनिऑल थोड़ी गर्माहट और जलन महसूस करता है, लेकिन ये दर्द से राहत देता है।
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दवाइयों की तुलना में हर्ब्स लेने के लिए नियम ज्यादा सख्त नहीं हैं। बहरहाल यह कितना सुरक्षित है इस बात की जानकारी के लिए अभी और भी रिसर्च की जरूरत है। इस हर्ब को इस्तेमाल करने से पहले इसके रिस्क और फायदे को अच्छी तरह से समझ लें। हो सके तो अपने हर्बल स्पेशलिस्ट या डॉक्टर से सलाह लेकर ही इसे यूज करें।
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जरूरी नहीं हर कोई इन साइड इफेक्ट्स का अनुभव करें। कुछ ऐसे साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं जो ऊपर बताई गई लिस्ट में शामिल नहीं हैं। यदि आपको साइड इफेक्ट के बारे में कोई चिंता है, तो कृपया अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से परामर्श करें।
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इस हर्बल सप्लिमेंट की खुराक हर मरीज के लिए अलग हो सकती है। आपके द्वारा ली जाने वाली खुराक आपकी उम्र, स्वास्थ्य और अन्य कई चीजों पर निर्भर करती है। हर्बल सप्लिमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए सही खुराक की जानकारी के लिए हर्बलिस्ट या डॉक्टर से चर्चा करें।
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