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बच्चों में हापरविस्कोसिटी सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है? (Hyperviscosity Syndrome treatments in children)
अगर डॉक्टर को इस बात का पता चल जाता है कि शिशु को हायपरविस्कोसिटी सिंड्रोम (Hyperviscosity Syndrome in children) है तो वे उसे मॉनिटर करेंगे। अगर स्थिति गंभीर है तो डॉक्टर पार्शियल एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन (Partial exchange transfusion) रिकमंड कर सकते हैं। इस प्रॉसेस के दौरान कम मात्रा में ब्लड को हटाया जाता है और उसी समय जितना ब्लड लिया गया है उसे सलाइन सॉल्यूशन से रिप्लेस किया जाता है। इससे रेड ब्लड सेल्स की मात्रा कम होती है और खून पतला हो जाता है।
डॉक्टर बच्चे को फीडिंग कराने के लिए भी कह सकते हैं। ताकि हायड्रेशन में सुधार करके ब्लड थिकनेस को कम किया जा सके। अगर बच्चा दूध नहीं पीता है तो उसे इंट्रावेनसली (Intravenously) फ्लूइड दिया जाता है। अगर शिशु में हायपरविस्कोसिटी सिंड्रोम का माइल्ड केस है और किसी प्रकार के लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं, तो चिंता की बात नहीं है। शिशु के रिकवरी के चांसेज भी ज्यादा हैं, लेकिन अगर यह सिंड्रोम जेनेटिक कंडिशन के कारण है तो इसे लॉन्ग टर्म ट्रीटमेंट की जरूरत हो सकती है। जिन शिशुओं में यह सिंड्रोम होता है उन्हें बाद में डेवलपमेंट और न्यूरोलॉजिक प्रॉब्लम्स (Neurological Problems) का सामना करना पड़ता है। जिसका कारण ब्लड फ्लो की कमी और ऑक्सिजन का ब्रेन और दूसरे ऑर्गन्स में ना पहुंच पाना।
शिशुओं में होने वाले अन्य ब्लड डिसऑर्डर कौन से हैं? (Other Blood Disorders in Children)
बच्चों में निम्न प्रकार के रेड ब्लस सेल और आयरन डिसऑर्डर पाए जाते हैं।
- चाइल्डहुड रेड ब्लड सेल डिसऑर्डर्स
- सिकल सेल डिजीज
- थेलेसीमिया
- चाइल्डहुड एनीमिया
- आयरन डेफिसिएंशी एनीमिया
- हीमोलिटिक एनीमिया (Hemolytic anemia)
- आयरन रेफ्रेक्टरी आयरन डेफिसिएंशी एनीमिया (Iron-refractory iron deficiency anemia) (IRIDA)
- कॉन्जिनिटल साइरोब्लास्टिक एनीमिया (Congenital sideroblastic anemia)
- मेगालोब्लास्टिक एनीमिया (Megaloblastic anemia)
- हायड्रॉप्स फेटेल्स (Hydrops fetalis)